Jivitputrika Vrat Kab Hai :- दोस्तों आज हम आपको जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत के बारे में बताएँगे. जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत सिर्फ औरत ही करती है अपनी बच्चो की लम्बी उम्र के लिये और अपने बच्चे के जीवन में कोई भी संकट या मुसीबत ना आये.
हम आपको जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत से सम्बंधित सभी जानकारी आपको देंगे जैसे :- जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत कब मनाया जाता है? जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत करने से महत्व , जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत कथा .
अगर आप जानना चाहते है तो आपको मेरे इस Jivitputrika Vrat Kab Hai लेख को अंत तक जरुर पढ़ना होगा.
Jivitputrika Vrat Kab Hai 2024|
पोस्ट नाम | Jivitputrika Vrat Kab Hai |
लाभार्थी | सिर्फे औरत |
व्रत किसके लिए | अपने बच्चों की लम्बी उम्र के लिए |
साल | 2024 |
जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत कब है 2024 | 25 सितम्बर बुधवार |
यह व्रत किस देश में मनाया जाता है | नेपाल और भारत के कुछ राज्य में |
Jivitputrika Vrat कब मनाया जाता है | अश्वनी मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी को |
आर्टिकल साईट | cgyojana.com |
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जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत क्या है?
जीवित्पुत्रिका व्रत को हम जितिया व्रत भी कहते है और खर जितिया भी कहा जाता है. यह व्रत स्त्री करती है अपने सन्तान की लम्बी आयु के लिये और अपने सन्तान की स्वस्थ हमेशा ठीक रहने के लिए करती है.
जीवित्पुत्रिका व्रत हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष के अष्टमी के दिन हर स्त्री अपने सन्तान के लिए जितिया निर्जला व्रत रखती है. जीवित्पुत्रिका व्रत ज्यादा नेपाल , बिहार और उतर प्रदेश में मनाया जाता है.
जितिया व्रत कब मनाया जाता है?
जितिया व्रत को हम जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है जो हर स्त्री अपनी सन्तान की सुख समृधि के लिए जितिया व्रत रखती है और विधि विधान से पूजन करती है. जीवित्पुत्रिका व्रत मुख्य रूप से नेपाल , बिहार और उतर प्रदेश में मनाया जाता है.
जीवित्पुत्रिका व्रत हर साल अश्वनी मास कृष्ण पक्ष सप्तमी के दिन नहाय खा रखा जाता है.और अश्वनी मास के कृष्णा पक्ष अष्टमी के दिन जितिया निर्जला व्रत रखा जाता है और अश्वनी कृष्ण पक्ष नवमी के दिन पारण किया जाता है यानि की भोजन किया जाता है. जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत 25 सितम्बर बुधवार को है.
जितिया व्रत करने के लिए पूजन समाग्री
जितिया व्रत करने के लिए आपको निचे दी गई पूजन समाग्री जो बताया गया है वह इक्कठा करना होगा.
- कुश से बनी जीमूत वाहन की मूर्ति
- मिट्टी से चील और सियारिन की मूर्ति
- अक्षत (चावल)
- मीठा
- फल
- धुप
- दीप
- घी
- सिंगार का समग्री
- दूर्वा की माला
- इलाइची
- पान
- सिंदूर
- सरसों का तेल
- फूल
- बांस के पत्ते
- लौंग
- गाँठ का धागा
- गाय का गोबर
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जीवित्पुत्रिका व्रत 2024 में कब है? जानिए शुभ महूर्त
- जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत 24 सितम्बर दिन मंगलवार को नहाय खाय है.
- जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत 25 सितम्बर दिन बुधवार को 6 बजकर 34 मिनट से प्रारम्भ होगा और 26 सितम्बर के गुरुवार के दिन 8 बजकर 8 मिनट पर जितिया व्रत का समाप्त होगा.
- जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत 26 सितम्बर गुरुवार के दिन 8 बजकर 10 मिनट के बाद ही पारण करना है यानि की भोजन ग्रहण करके अपना व्रत तोड़ देना है.
जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत नहाय खाय 2024
जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत के हर साल अश्वनी मास के कृष्ण पक्ष के सप्तमी के दिन नहाय खाय होता है जो की 2024 में जितिया व्रत का नहाय खाय 24 सितम्बर दिन मंगलवार को है.
जितिया व्रत नहाय खाय कैसे किया जाता है?:- जितिया व्रत के अश्वनी मास के कृष्ण पक्ष के सप्तमी के दिन वह उठाना है और घर को सफाई कर नहाकर अच्छे से शुद्ध वस्त्र पहन लेना है .
शाम को दाल चावल और तरोई की सब्जी बनाना है और बनाने के बाद चावल और दाल और सब्जी को निकाल कर बर्तन में रख देना है.
उसके बाद आपको भोजन करना है और सुबह में 3 बजे उठाकर घर के छत पर जाकर दही चिवडा और डाल चावल सब्जी फल सहित रखा जाता है चील और सियारिन को खाने के लिए रखा जाता है और धुप देखाते है और विधि अनुसार पूजन करते है.
जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत नहाय खाय या पूजन विधि हर जगह का अलग – अलग नियम होता है. जैसे की हमारे यहाँ एसे ही होता है.
Jivitputrika Vrat करने से महत्व
- जितिया व्रत के दिन जो स्त्री निर्जला व्रत रखती है उस स्त्री के सन्तान की आयु लम्बी होती है.
- जो महिला जितिया व्रत करती है उसके बच्चो के ऊपर आई संकट मुसीबत टल जाती है.
- जीवित्पुत्रिका व्रत करने से सन्तान की जिन्दगी में दुःख, दर्द, तकलीफ नही आती है.
- यह व्रत करने से बच्चो की स्वस्थ अच्छा रहता है.
- जितिया व्रत करने से घर में सुख और शांति बनी रहती है.
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जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत पूजन विधि
जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत 2024 में 25 सितम्बर दिन बुधवार को है इस दिन सभी स्त्री उपवास रहती है . जब दोपहर होती है तब नहाकर शुद्ध वस्त्र पहनती है और सूर्य देवता को जल देती है .
जीमूतवाहन भगवान की विधि अनुसार पूजन करती है. उसके बाद मिट्टी से चिल और सियारिन की मूर्ति बनाते है. विधि अनुसार पूजन कर पूजन समाप्त करते है. उसके बाद जितिया व्रत की कथा सुनते है.
अगले दिन 26 सितम्बर दिन गुरुवार के दिन 8 बजकर 10 मिनट के बाद पारण करना यानि की भोजन कर के व्रत तोड़ लेना है.
जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत कथा |
जो भी स्त्री जितिया व्रत करती उस दिन नहाकर जीमूत वाहन भगवान की पूजा करते है उसके बाद जितिया कथा सनते है अगर आप जितिया व्रत करती है और आप जितिया कथा सुनना चाहती है तो हमने निचे एक जितिया कथा लिखा है.
परम्परिक कथा के अनुसार यह एक जितिया कथा है एक गाँव नदी के कनारे था उस गाव के पश्चिम दिशा में एक बरगद का पेड़ था. उस पेड़ पर एक चिल रहती थी उसी पेड़ के निचे एक सियारिन रहती थी.
चिल और सियारिन में बहुत ही गहरी दोस्ती हो गई थी. एक दिन दोनों सहेलियों ने दो औरत को जितिया व्रत करते हुवे देखा तो दोनों सहेलियों ने निश्चय कर लिया की हम भी जितिया व्रत करेंगें.
चिल और सियारिन ने जितिया व्रत का उपवास रखा उसी दिन एक गावं का आदमी मर गया था जिसका अंतिम संस्कार उस बरगद के पेड़ के कुछ दुरी हुई. उसी रात जोड़ो से बारिश होने लगी तब सियारिन ने उस मुर्दा को देख लालच आ गया.
सियारिन उसी रात उस मुर्दा को खाने लगी और चिल बरगद के पेड़ पर बैठी रही वह कुछ नही खायी. चिल ने अपना जितिया व्रत नही तोडा और सियारिन ने जितिया व्रत तोड़ दिया
फिर अगले जन्म में चिल और सियारिन एक ब्राह्मण के दो बेटियों के रूप में जन्म लिया चिल बड़ी बेटी हुई जिसका नाम शीलवती रखा गया . सियारिन छोटी बेटी हुई जिसका नाम कपुरावती रखा गया.
शीलवती और कपुरावती की ब्राह्मण ने अच्छे घर में शादी कर दी. शीलवती को 7 पुत्र हुवे और कपुरावती को जितना भी बच्चा हो रहा था वह मर जाते थे. कपुरावती को शीलवती के बच्चे को देख कर जलन होने लगी उसने उसके बच्चे के सिर को काट दिया मार दिया.
तब ही जिवितवाहन देवता ने उस सात बेटो क सिर को जोड़ जिन्दा कर दिए. सुबह हुई तो सातों बेटे शीलवती के काम कर रहे थे जिसे देख कर उसकी छोटी बहन कपुरावती बेहोश हो गई.
तब उसकी बड़ी बहन शीलवती अपनी छोटी बहन कपुरावती से बताया की अगले जन्म में तुमने जितिया व्रत तोड़ दिया था इसलिए तुम्हारा बच्चा मर जाते थे. यह सब सुनकर कपुरावती वही मर गई जिसका अंतिम संस्कार उस बरगद के पेड़ के पास कर दिया गया.
है जीवित वाहन जिस तरह से आपने शीलवती के बच्चे की जान की रक्षा की वेसे ही आप सभी के बच्चे की जान की रक्षा करना.
जितिया व्रत 2024
दिनाक | दिन | व्रत |
24 सितम्बर | मंगलवार | नहाय खाय |
25 सितम्बर | बुधवार | निर्जला व्रत |
26 सितम्बर | गुरुवार | पारण |
बिहार में जितिया व्रत कब है ? 2024
बिहार में जितिया 25 सितम्बर दिन बुधवार को है.
Jivitputrika Vrat से सम्बंधित कुछ सवाल और जवाब (FAQ)
जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत 2024 में कब है?
जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत 2024 में 25 सितम्बर दिन बुधवार को है.
Jivitputrika Vrat स्त्री क्यू करती है?
Jivitputrika Vrat स्त्री अपने बच्चो की लम्बी उम्र के लिए करती है. जितिया माँ से प्रथना करती है की मेरे बच्चो को हमेशा रक्षा करना हर संकट बचाना हर मुसीबत से बचाना है.
जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत के दिन क्या खाना चाहिए ?
जीवित्पुत्रिका/जितिया व्रत एक निर्जला व्रत है उस दिन जो स्त्री व्रत रखती है उस स्त्री को नाही कुछ भी खाना चाहिए नहीं कुछ पीना चाहिए.
जितिया व्रत किस दिन मनाया जाता है?
जितिया व्रत हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन जितिया व्रत मनाया जाता है.
जीवित्पुत्रिका व्रत कहा मनाया जाता है?
जीवित्पुत्रिका व्रत मुख्य रूप से नेपाल , बिहार और उतर प्रदेश में मनाया जाता है?
2024 में जितिया व्रत का पारण कब है?
2024 में जितिया व्रत का पारण 26 सितम्बर दिन गुरुवार के दिन है.
जितिया व्रत 2024 में कब है?
जितिया व्रत 2024 में 25 सितम्बर दिन बुधवार को है.
जितिया व्रत के 2024 में पारण कब है?
जितिया व्रत के पारण 26 सितम्बर दिन गुरुवार को है.
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