Chaithi Chhath Puja :- चैती छठ पूजा 2024 में कब है? चैती छठ पूजा क्यू मनाया जाता है? चैती छठ पूजा के बारे में जो भी जानकारी जनाना चाहते है तो आपको मेरे इस Chaithi Chhath Puja आर्टिकल को अंत तक पढ़ना होगा.
चैती छठ पूजा ज्यादा धूम – धाम से बिहार में तथा उतर प्रदेश में मनाया जाता है. बिहार और उतर प्रदेश के महिला अपनी बच्चे और पति की सलामती के लिए चैती छठ का व्रत करती है.
Chaithi Chhath Puja 2024
आर्टिकल नाम | Chaithi Chhath Puja |
लाभार्थी | सभी लोग |
लाभ | छठ पूजा से सम्बंधित सभी जानकारी |
चैती छठ पूजा 2024 में कब है? | 14 अप्रैल दिन रविवार को |
चैती छठ के महत्व | छठ पूजा का व्रत रखने से सारी मनोकामना पूर्ण होती है. |
वर्ष | 2024 |
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चैती छठ पूजा क्या है?
चैती छठ पूजा का व्रत हर एक महिला अपने परिवार के सुख एवं समृधि के लिए करती है. छठ पूजा के दिन भगवान सूर्य देव आराधना की जाती है. सध्या अर्घ्य के समय सूर्य भगवन को डूबने के समय यनी की संध्य के समय में अर्घ्य दिया जाता है. छठ पूजा ज्यदा तरह से अपने बच्चे और पति की लम्बी आयु के लिए छठ का व्रत रखती है. यह व्रत बहुत ही कठिन व्रत माना जाता है. इस व्रत में कुछ भी खाया और न पिया जाता है. चैती छठ पूजा ज्यादा उतर प्रदेश और विहार में मनाया जाने वाला व्रत है. उतर प्रदेश में और बिहार में बहुत ही धूम – धाम से बड़ी ही उत्सव के साथ मनाया जाता है
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छठ पूजा करने के लिए पूजा समग्री लिस्ट
अगर आप चित्र चैत्र छठ पूजा कर रहे है. तो आपको पता होनी चाहिए की चैत्र छठ पूजा व्रत रखने के लिए कौन – कौन से पूजन समग्री लगेगा. तो आपको हमने निचे छठ पूजा समाग्री लिस्ट बनाया है. जो आप भुत ही आसानी से जान सकते है और और दुसरो को भि बता सकते है.
- नया वस्त्र साड़ी और सोलह सिंगार
- ईख
- सभी प्रकार के फल
- निम्बू
- नारियल
- मिट्टी के दिया
- कलश
- सिंदूर
- अगरबती धूम
- साठी का चावल
- मीठा
- धुप
- पान कसैली
- हल्दी
- आदि
- बांस के सूपली
- सुथनी
- मुली
- इत्यादी
Chaithi Chhath Puja 2024 me kab hai
चैत्र छठ पूजा हर साल चैत्र मास के षष्ठी को मनाया जाने वाला व्रत है. यह पूजा सभी लोग कर सकते है चाहे वो महिला हो या पुरुष हो छठ पूजा का व्रत कर सकता है. हम आपको निचे लिस्ट में बता दिए है चैती छठ पूजा 2024 में किस महिना में तथा किस दिन को है.
चैत्र छठ पूजा तिथि 2024
छठ पूजा करने की तिथी | छठ पूजा करने का दिन | छठ पूजा करने का अनुष्ठान |
12 अप्रैल | शुक्रवार | नहाय खाय |
13 अप्रैल | शनिवार | खरना |
14 अप्रैल | रविवार | सांध्य अर्घ्य |
15 अप्रैल | सोमवार | सूर्योदय अर्घ्य |
चैती छठ पूजा कब मनाया जाता है?
चैती छठ पूजा हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष चतुर्थी को नहाय खाय होता है. शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को खरना होता है. चैत्र छत पूजा चैत्र मास के शुक्ल पक्ष षष्ठी को सांध्य अर्घ्य और शुक्ल पक्ष सूर्योदय अर्घ्य होता है. चैत्र छत पूजा दिन का पर्व है जो बहुत ही कठिन पर्व माना जाता है. इस छठ पूजा में कुछ भी खाया ना पिया जाता है.
चैती छठ पूजा करने से क्या महत्व है?
- छठ पूजा करने से घर के सभी लोग दुःख दर्द से दूर रहते है.
- पति और बेटे के उपर जो दुःख संकट आने वाला होता है वह दूर हो जाता है.
- जिसका पुत्र नही होता वह छठ माता के पास सच्चे दिल से मांगे ले तो उसे छठ माता पुत्र दे देती है.
- जो महिला छठ माता का व्रत करती है उस महिला को छठ माता सुहागन होने का आशीर्वाद देती है.
- छठ माता का व्रत करने से जो मांगे वह मिल जाता है.
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चैती छठ पूजा कैसे करते है?, चैती छठ पूजा का व्रत कैसे रखते है?
छठ पूजा एक येसा त्यौहार जिस दिन कुछ न खाया ना कुछ पिया जाता है. छठ पूजा एक निर्जला व्रत है जो अपने बेटे और पति तथा अपने घर की साभी परिवार की सलामती के लिए किया जाता है.छठ पूजा तो उतर प्रदेश में और कुछ राज्य में भी मनाया जाने वाला त्यौहार है लेकिन छठ पूजा बिहार का महापर्व है जो चार दिन तक धूम – धाम से मनाया जाता है.
चैत्र छठ पूजा कैसे करते है?– छठ पूजा करने के लिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन सुबह में नहा कर पूजा करके भोजन किया जाता है. अगले दिन पंचमी के दिन छठ पूजा खरना होता उस दिन कुछ भी न खाया न पिया जाता है. शाम को सूर्य भगवान को जल देते है और शाम को यानि रात को शुद्ध रोटी और साठी चावल का बना खीर और फल को छठ मैया को चढ़ाया जाता है और उसके बाद खाया जाता है . षष्ठी के छठ पूजा का निर्जला व्रत रहता है उस दिन रात या दिन कुछ भी नही खाया जाता है. यानि की षष्ठी को निर्जला रहना पड़ता है. षष्ठी के दिन घर को साफ – सफाई करके पुड़ी बनाई जाती है शुद्ध आटा का और सभी प्रकार के फालो को धोया जाता है ईख को भी तैयार की जाता है.
दोपहर को सभी महिला सोलह सिंगार करके शुद्ध कपड़े पहनकर अपने नजदीकी घाट पर यानि तालाब जाकर दिया जालाया जाता है. घाट पर बनाई गई छठ मैया के विधि अनुशार पूजन किया जाता है शाम सूर्य भगवान को डूबने से पहले घाट पर जाकर पानी में खड़े होकर सूर्य भगवान को जल दिया जाता है. उसके बाद घर आकर 12 ईख से और फलो से आँगन में कोशी भड़कर पूजा किया जाता है और गीत भी गया जाता है. सप्तमी के दिन सुबह में उसी घाट पर पानी में खड़े होकर बांस के सुपली में पाच फल और नारियल से सूर्य भगवना को जल दिया जाता है. उसके बाद घर आकर पारण किया जाता है यानि की भोजन कर व्रत को तोडा जाता है.
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चैत्र छठ पूजा से सम्बंधित कुछ सवाल और जवाब (FAQ)
चैती छत पूजा कब मनाया जाता है?
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन – नहाय खाय
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन – खरना
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष षष्ठी के दिन – संध्या अर्घ
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष सप्तमी के दिन – सूर्योदय अर्घ
चैती छठ पूजा हर साल किस महीने में पड़ता है
चैती छठ पूजा हर साल अप्रैल के महिना में पड़ता है. कभी – कभी मार्च महीने के लास्ट में पड़ता है.
चैत्र छठ पूजा कौन – कौन से राज्य में मनाया जाता है?
चैत्र छठ पूजा ज्यादा तरह से विहार और उतर प्रदेश में मनाया जाता है.
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आशा करती हूँ यह आर्टिकल Chaithi Chhath Puja आपको पंसद आया होगा और आपके मन में जो भी डाउट होंगें चैती छठ पूजा कब और कैसे मनाया जाता है? को लेकर सभी क्लियर हो गए होंगें.
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